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"गजब की दिवाली / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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सूँ-सूँ  करके
 
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साँप जो निकला
 
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ऐसे लगा, मानो
 
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जादू चला था ।
 
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ऐसी ग़ज़ब की
 
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हुई दिवाली
 
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किलकारी का
 
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शोर मचा था ।
 
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  शोर मचाकर
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  बच्चों का टोला
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  झूम रहा था ।
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जगमग हो गई  
 
जगमग हो गई  
 
दुनिया सारी
 
दुनिया सारी

18:12, 17 मार्च 2011 के समय का अवतरण

धूम धड़ाका
बजे पटाखा
भड़ाम से बोला
बम फटा था ।

  सर्र-सर्र से
  चक्करी चलती
  फर्र-फर्र
  फुलझड़ी फर्राटा ।

सूँ-सूँ करके
साँप जो निकला
ऐसे लगा, मानो
जादू चला था ।

  फटाक-फटाक
  चली जो गोली
  ऐसा भी
  पिस्तौल बना था ।

ऐसी ग़ज़ब की
हुई दिवाली
किलकारी का
शोर मचा था ।

  हुर्रे-हुर्रे, का
  शोर मचाकर
  बच्चों का टोला
  झूम रहा था ।

जगमग हो गई
दुनिया सारी
ख़ुशियों का पहिया
घूम रहा था ।