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"बाँसुरी चली आओ / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर

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तुम अगर नही आई गीत गा न पाऊँगा
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साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाऊँगा
 
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तान भावना की है शब्द-शब्द दर्पण है
 
तान भावना की है शब्द-शब्द दर्पण है
 
 
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है
 
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है
 
 
  
 
तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है
 
तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है
 
 
तीर पार कान्हा से दूर राधिका-सी है
 
तीर पार कान्हा से दूर राधिका-सी है
 
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रात की उदासी को याद संग खेला है  
रात की उदासी को आँसुओ ने झेला है
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कुछ गलत ना कर बैठें मन बहुत अकेला है
 
कुछ गलत ना कर बैठें मन बहुत अकेला है
 
 
औषधि चली आओ चोट का निमंत्रण है
 
औषधि चली आओ चोट का निमंत्रण है
 
 
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है
 
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है
 
  
 
तुम अलग हुई मुझसे साँस की ख़ताओं से
 
तुम अलग हुई मुझसे साँस की ख़ताओं से
 
 
भूख की दलीलों से वक्त की सज़ाओं से
 
भूख की दलीलों से वक्त की सज़ाओं से
 
 
दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना है
 
दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना है
 
 
आँख लाख चाहे पर होंठ से न कहना है
 
आँख लाख चाहे पर होंठ से न कहना है
 
 
कंचना कसौटी को खोट का निमंत्रण है
 
कंचना कसौटी को खोट का निमंत्रण है
 
 
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है
 
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है
 
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'''कोई दीवाना कहता है (२००७) में प्रकाशित'''
 
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कोई दीवाना कहता है(२००७) मे प्रकाशित  
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www.kumarvishwas.com
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http://www.orkut.com/Community.aspx?cmm=23427391
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16:20, 12 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

तुम अगर नहीं आई गीत गा न पाऊँगा
साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाऊँगा
तान भावना की है शब्द-शब्द दर्पण है
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है
तीर पार कान्हा से दूर राधिका-सी है
रात की उदासी को याद संग खेला है
कुछ गलत ना कर बैठें मन बहुत अकेला है
औषधि चली आओ चोट का निमंत्रण है
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है

तुम अलग हुई मुझसे साँस की ख़ताओं से
भूख की दलीलों से वक्त की सज़ाओं से
दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना है
आँख लाख चाहे पर होंठ से न कहना है
कंचना कसौटी को खोट का निमंत्रण है
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है

कोई दीवाना कहता है (२००७) में प्रकाशित