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"दिन / ओमप्रकाश सारस्वत" के अवतरणों में अंतर

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'''दिन'''
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लिख रहे हैं धुंध
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कुंद हो रहा उजास
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आस क्या करे?
  
<Poem> Din
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'''पहाड़'''
Omprakash sarswat
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पढ़ रहे हैं बर्फ
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सर्द पड़ी रही उमंग
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रंग क्या करे?
  
'''Din'''
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'''सूर्य'''  
likh rahen hain dhundh
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दे रहा दग़ा
kund ho raha ujas
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जगा न भोर का हुलास
aas kaya kere?
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हास क्या करे?  
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'''pahad'''
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padh rahen berf
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'''रक्त'''
sard padi rahi umang
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रेत पर लुटा
rang kaya kere?  
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उगा न गंध न पराग
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राग क्या करे?  
  
 
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'''धूप'''  
 
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बादलों में रोए
'''surya'''
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ढोए मिन्नतें हज़ार
de raha daga
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प्यार क्या करे?
jaga na bhor ka hulas
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</poem>
has kaya kere?
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+
 
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'''rakt'''
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ret per luta
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uga na gandh na rag
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parag kaya kere?
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'''dhup'''  
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badalon me roye
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dhoye minanaten
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rang kaya kere?
+
</poem>Mukesh Negi
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12:58, 20 जून 2020 के समय का अवतरण

दिन
लिख रहे हैं धुंध
कुंद हो रहा उजास
आस क्या करे?

पहाड़
पढ़ रहे हैं बर्फ
सर्द पड़ी रही उमंग
रंग क्या करे?

सूर्य
दे रहा दग़ा
जगा न भोर का हुलास
हास क्या करे?

रक्त
रेत पर लुटा
उगा न गंध न पराग
राग क्या करे?

धूप
बादलों में रोए
ढोए मिन्नतें हज़ार
प्यार क्या करे?