भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तेरे ख़याल से लौ दे उठी है तनहाई / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नासिर काज़मी }} Category:गज़ल तेरे ख़याल से लौ दे उठी है तनह...) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=नासिर काज़मी | |रचनाकार=नासिर काज़मी | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatGhazal}} | |
तेरे ख़याल से लौ दे उठी है तनहाई <br> | तेरे ख़याल से लौ दे उठी है तनहाई <br> | ||
शब-ए-फ़िराक़ है या तेरी जल्वाआराई <br><br> | शब-ए-फ़िराक़ है या तेरी जल्वाआराई <br><br> | ||
− | तू किस ख़याल में है ऐ | + | तू किस ख़याल में है ऐ मंज़िलों के शादाई <br> |
उन्हें भी देख जिन्हें रास्ते में नींद आई <br><br> | उन्हें भी देख जिन्हें रास्ते में नींद आई <br><br> | ||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
भटक रहे हैं अँधेरों में तेरे सौदाई <br><br> | भटक रहे हैं अँधेरों में तेरे सौदाई <br><br> | ||
− | + | राह-ए-हयात में कुछ मर्हले तो देख लिये <br> | |
ये और बात तेरी आरज़ू न रास आई <br><br> | ये और बात तेरी आरज़ू न रास आई <br><br> | ||
पंक्ति 21: | पंक्ति 21: | ||
फिर उस की याद में दिल बेक़रार है "नासिर" <br> | फिर उस की याद में दिल बेक़रार है "नासिर" <br> | ||
− | बिछड़ के जिस से हुई शहर शहर रुसवाई <br><br> | + | बिछड़ के जिस से हुई शहर-शहर रुसवाई <br><br> |
04:06, 28 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
तेरे ख़याल से लौ दे उठी है तनहाई
शब-ए-फ़िराक़ है या तेरी जल्वाआराई
तू किस ख़याल में है ऐ मंज़िलों के शादाई
उन्हें भी देख जिन्हें रास्ते में नींद आई
पुकार ऐ जरस-ए-कारवाँ-ए-सुबह-ए-तरब
भटक रहे हैं अँधेरों में तेरे सौदाई
राह-ए-हयात में कुछ मर्हले तो देख लिये
ये और बात तेरी आरज़ू न रास आई
ये सानिहा भी मुहब्बत में बारहा गुज़रा
कि उस ने हाल भी पूछा तो आँख भर आई
फिर उस की याद में दिल बेक़रार है "नासिर"
बिछड़ के जिस से हुई शहर-शहर रुसवाई