भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भींत कोनी मानी / विनोद स्वामी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poem>भींत में थान है थान में देवता आरती सूं देवता तो मानता रैया पण भी…)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<poem>भींत में थान है
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=विनोद स्वामी
 +
|संग्रह=
 +
}}
 +
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 +
{{KKCatKavita‎}}
 +
<poem>
 +
भींत में थान है
 
थान में देवता
 
थान में देवता
 
आरती सूं
 
आरती सूं

17:18, 18 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

भींत में थान है
थान में देवता
आरती सूं
देवता तो मानता रैया
पण
भींत कोनी मानी
एक दिन
दाब मार्या
देवतावां नै भींत!