Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: <poem>मींच आंखड़ियां, कर अंधारो मत अंधारो सहो जागता रहो ताकता रहो जाग…) |
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मत अंधारो सहो | मत अंधारो सहो | ||
जागता रहो | जागता रहो |
17:02, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
मींच आंखड़ियां, कर अंधारो
मत अंधारो सहो
जागता रहो
ताकता रहो
जागता रहो ।
सपनां रो राजा चंदरमा, इमरत पी मर जसी
सोनां री जागीरां खोकर सै तारा घर जासी
छिण में उठसी रैणादे रा काळा पड़दा
चन्नाणां री किरणां सूं ठगणी छिंयां डर जासी
नवी जोत में राख भरोसो
नवी कहाणियां कहो
जागता रहो
सीटी रो सरणाटो बाजै, मील मजूरी चालां
खेतां में पंछीड़ा बोलै, हळ रा ठाठ संभाळां ।
हाट हटड़ीयां खोलां, इसो जमानो पाळा ।
ऊगै है सोना रो सूरज
मत आळस में बहो
जागता रहो ।