"विहंगम-मधुर स्वर तेरे / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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+ | विहंगम-मधुर स्वर तेरे, | ||
+ | मदिर हर तार है मेरा! | ||
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+ | तुझे पथ स्वर्ण रेखा, चित्रमय | ||
+ | संचार है मेरा! | ||
− | + | तुझे पा बज उठे कण-कण | |
− | + | मुझे छू लासमय क्षण-क्षण! | |
− | + | किरण तेरा मिलन, झंकार- | |
− | + | सा अभिसार है मेरा! | |
− | + | ||
− | + | धरा से व्योम का अन्तर, | |
− | तुझे पा बज उठे कण-कण | + | रहे हम स्पन्दनों से भर, |
− | मुझे छू लासमय क्षण-क्षण! | + | निकट तृण नीड़ तेरा, धूलि का |
− | किरण तेरा मिलन, झंकार- | + | आगारा है मेरा! |
− | सा अभिसार है मेरा! | + | |
− | धरा से व्योम का अन्तर, | + | न कलरव मूल्य तू लेता, |
− | रहे हम स्पन्दनों से भर, | + | ह्रदय साँसे लुटा देता, |
− | निकट तृण नीड़ तेरा, धूलि का | + | सजा तू लहर-सा खग, |
− | आगारा है मेरा! | + | दीप-सा श्रृंगार है मेरा। |
− | न कलरव मूल्य तू लेता, | + | |
− | ह्रदय साँसे लुटा देता, | + | चुने तूने विरल तिनके |
− | सजा तू लहर-सा खग, | + | गिने मैंने तरल मनके, |
− | दीप-सा श्रृंगार है मेरा। | + | तुझे व्यवसाय गति है, |
− | चुने तूने विरल तिनके | + | प्राण का व्यापार है मेरा! |
− | गिने मैंने तरल मनके, | + | |
− | तुझे व्यवसाय गति है, | + | गगन का तू अमर किन्नर, |
− | प्राण का व्यापार है मेरा! | + | धरा का अजर गायक उर, |
− | गगन का तू अमर किन्नर, | + | मुखर है शून्य तुझसे लय भरा |
− | धरा का अजर गायक उर, | + | यह क्षार है मेरा। |
− | मुखर है शून्य तुझसे लय भरा | + | |
− | यह क्षार है मेरा। | + | उड़ा तू छंद बरसाता, |
− | उड़ा तू छंद बरसाता, | + | चला मन स्वप्न बिखराता, |
− | चला मन स्वप्न बिखराता, | + | अमिट छवि की परिधि तेरी, |
− | अमिट छवि की परिधि तेरी, | + | अचल रस-पार है मेरा! |
− | अचल रस-पार है मेरा! | + | |
− | बिछी नभ में कथा झीनी, | + | बिछी नभ में कथा झीनी, |
− | घुली भू में व्यथा भीनी, | + | घुली भू में व्यथा भीनी, |
− | तड़ित उपहार तेरा, बादलों- | + | तड़ित उपहार तेरा, बादलों- |
− | सा प्यार है मेरा!< | + | सा प्यार है मेरा! |
+ | </poem> |
22:18, 12 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
विहंगम-मधुर स्वर तेरे,
मदिर हर तार है मेरा!
रही लय रूप छलकाती
चली सुधि रंग ढुलकाती
तुझे पथ स्वर्ण रेखा, चित्रमय
संचार है मेरा!
तुझे पा बज उठे कण-कण
मुझे छू लासमय क्षण-क्षण!
किरण तेरा मिलन, झंकार-
सा अभिसार है मेरा!
धरा से व्योम का अन्तर,
रहे हम स्पन्दनों से भर,
निकट तृण नीड़ तेरा, धूलि का
आगारा है मेरा!
न कलरव मूल्य तू लेता,
ह्रदय साँसे लुटा देता,
सजा तू लहर-सा खग,
दीप-सा श्रृंगार है मेरा।
चुने तूने विरल तिनके
गिने मैंने तरल मनके,
तुझे व्यवसाय गति है,
प्राण का व्यापार है मेरा!
गगन का तू अमर किन्नर,
धरा का अजर गायक उर,
मुखर है शून्य तुझसे लय भरा
यह क्षार है मेरा।
उड़ा तू छंद बरसाता,
चला मन स्वप्न बिखराता,
अमिट छवि की परिधि तेरी,
अचल रस-पार है मेरा!
बिछी नभ में कथा झीनी,
घुली भू में व्यथा भीनी,
तड़ित उपहार तेरा, बादलों-
सा प्यार है मेरा!