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"म्हारी कविता 1 / रामस्वरूप किसान" के अवतरणों में अंतर

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13:08, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

थारी प्रीत सूं
बडी कोनी म्हारी कविता

थारी-म्हारी
गुरबत रै बगत
सबदां री
बची-खुची
कीरच ई तो है
म्हारी कविता।