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बरसात / मख़दूम मोहिउद्दीन

No change in size, 16:49, 30 जनवरी 2011
वो हमदमे<ref>मित्र</ref>-देरीना<ref>पुराना</ref> बिछुड़ जाए, सितम है ।
नौ ख़ास्ता<ref>नौसिखियानौसीखिया</ref> महबूब का मुँह चूमने वाले
इस रुत में ये बे बाल-ओ-परी<ref>निस्सहायता, बेबसी</ref>, हाय सितम है ।
</poem>
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