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जयति विश्व- विख्यात बानैत-विरूदावली, विदुष बरनत वेद विमल बानी।
दास तुलसी त्रास शमन सीतारमण संग शोभित राम-राजधानी।9।
 
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जयति मर्कटाधीश, मृगराज-विक्रम, महादेव, मुद-मंगलालय, कपाली।
मोह-मद-क्रोध-कामादि-खल-संकुला, घोर संसार-निशि किरणमाली।1।
 
जयति लसदंजनाऽदितिज, कपि-केसरी-कश्यप-प्रभव, जगदर्तिहर्तां ।
लोक-लोकप-कोक-कोकनद-शोकहर, हंस हनुमान कल्याणकर्ता।2।
 
जयति सुविशाल-विकराल-विग्रह, वज्रसार सर्वांग भुजदण्ड भारी।
कुलिशनख, दशनवर लसत, बालधि बृहद, वैरि-शस्त्रास्त्रधर कुधरधारी।3।
 
जयति जानकी-शोच -संताप-मोचन, रामलक्ष्मणानंद-वारिज-विकासी।
कीश-कौतुक-केलि -लूम-लंका-दहन, दलन कानन तरूण तेजरासी।4।
 
जयति पाथोधि-पाषाण-जलयानकर, यातुधान -प्रचुर-हर्ष-हाता।
दुष्ट रावण-कुंभकर्ण-पाकारिजित-मर्मभित्, कर्म-परिपाक-दाता।5।
 
जयति भुवनैकभूषण, विभीषणवरद, विहित कृत राम-संग्राम साका।।
पुष्पकारूढ़ सौमित्रि-सीता-सहित, भानु-कुलभानु-कीरति-पताका।6।
 
जयति पर-यंत्रमंत्राभिचार-ग्रसन, कारमन-कूट-कृत्यादि-हंता।
शाकिनी-डाकिनी-पूतना-प्रेत-वेताल-भूत-प्रमथ-यूथ-यंता।7।
 
जयति वेदान्तविद विविध-विद्या-विशद, वेद-वेदांगविद ब्रह्मवादी।
ज्ञान-विज्ञान-वैराग्य-भाजन विभो, विमल गुण गनति शुकनारदादी।8।
 
जयति काल-गुण-कर्म-माया-मथन, निश्चलज्ञान,व्रत-सत्यरत, धर्मचारी।
सिद्ध-सुरवृंद-योगीन्द्र-सेवित सदा, दास तुलसी प्रणत भय-तमारी।9।
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