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विनयावली / तुलसीदास / पद 21 से 30 तक / पृष्ठ 3

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पद 25 से 26 तक

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जयत्यंजनी-गर्भ-अंभोति-संभूत विधु विबुध- कुल-कैरवानंद कारी।
केसरी-चारू-लोचन चकोरक-सुखद, लोक-शोक-संतापहारी।1।
 
जयति जय बालकपि केलि-कैतुक उदित-चंडकर-मंडल -ग्रासकर्ता।
राहु-रवि- शक्र- पवि- गर्व-खर्वीकरण शरण-भंयहरण जय भुवन-भर्ता।2।

जयति रणधीर, रघुवीरहित, देवमणि, रूद्र-अवतार, संसार-पाता।
 विप्र-सुर-सिद्ध-मुनि-आशिषाकारवपुष, विमलगुण, बुद्धि-वारिधि-विधाता।3।
 
जयति सुग्रीव-ऋक्षादि-रक्षण-निपुण, बालि-बलशालि-बध -मुख्यहेतू।
जलधि लंधन सिंह सिंहिका-मद-मथन, रजनिचर-नगर-उत्पात-केतू।4।

जयति भूनन्दिनी-शोच-मोचन विपिन-दलन घननादवश विगतशंका।
लूमलीलाऽनल-ज्वालमाला कुलित होलिका करण लंकेश-लंका।5।

जयति सौमित्र-रघुनंदनानंदकर, ऋक्ष-कपि-कटक-संघट -विधायी।
बद्ध-वारिधि-सेतु अमर -मंगल-हेतु, भानुकुलकेतु-रण-विजयदायी।6।

जयति जय वज्रतनु दशन नख मुख विकट, चंड-भुजदंड तरू-शैल-पानी।
समर-तैलिक-यंत्र तिल-तमीचर-निकर, पेरिडारे सुभट घालि घानी।7।

जयति दशकंठ घटकर्ण-वारिधि-नाद-कदन-कारन, कालनेमि-हंता।
अघटघटना-सुघट सुघट-विघटन विकट, भूमि-पाताल -जल-गगन-गंता।8।

जयति विश्व- विख्यात बानैत-विरूदावली, विदुष बरनत वेद विमल बानी।
दास तुलसी त्रास शमन सीतारमण संग शोभित राम-राजधानी।9।

(26)

जयति मर्कटाधीश, मृगराज-विक्रम, महादेव, मुद-मंगलालय, कपाली।
मोह-मद-क्रोध-कामादि-खल-संकुला, घोर संसार-निशि किरणमाली।1।

 जयति लसदंजनाऽदितिज, कपि-केसरी-कश्यप-प्रभव, जगदर्तिहर्तां ।
लोक-लोकप-कोक-कोकनद-शोकहर, हंस हनुमान कल्याणकर्ता।2।

जयति सुविशाल-विकराल-विग्रह, वज्रसार सर्वांग भुजदण्ड भारी।
कुलिशनख, दशनवर लसत, बालधि बृहद, वैरि-शस्त्रास्त्रधर कुधरधारी।3।

जयति जानकी-शोच -संताप-मोचन, रामलक्ष्मणानंद-वारिज-विकासी।
कीश-कौतुक-केलि -लूम-लंका-दहन, दलन कानन तरूण तेजरासी।4।

जयति पाथोधि-पाषाण-जलयानकर, यातुधान -प्रचुर-हर्ष-हाता।
दुष्ट रावण-कुंभकर्ण-पाकारिजित-मर्मभित्, कर्म-परिपाक-दाता।5।

जयति भुवनैकभूषण, विभीषणवरद, विहित कृत राम-संग्राम साका।।
 पुष्पकारूढ़ सौमित्रि-सीता-सहित, भानु-कुलभानु-कीरति-पताका।6।

जयति पर-यंत्रमंत्राभिचार-ग्रसन, कारमन-कूट-कृत्यादि-हंता।
 शाकिनी-डाकिनी-पूतना-प्रेत-वेताल-भूत-प्रमथ-यूथ-यंता।7।

जयति वेदान्तविद विविध-विद्या-विशद, वेद-वेदांगविद ब्रह्मवादी।
ज्ञान-विज्ञान-वैराग्य-भाजन विभो, विमल गुण गनति शुकनारदादी।8।

जयति काल-गुण-कर्म-माया-मथन, निश्चलज्ञान,व्रत-सत्यरत, धर्मचारी।
सिद्ध-सुरवृंद-योगीन्द्र-सेवित सदा, दास तुलसी प्रणत भय-तमारी।9।