भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
हम ग़रीबों के ख़्वाब कुछ भी नहीं
मन की दुनिया में सब ही उरियाँ <ref>नंगे </ref> हैं
दिल के आगे हिजाब कुछ भी नहीं
ज़िन्दगी भर का लेन देन ‘अना’
और हिजाबोहिसाबो-किताब कुछ भी नहीं
</poem>
{{KKMeaning}}