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जानते हम भी, ये भरम क्या हैं
उनके वादों पे जिए जिये जाते हैं
ये भी एहसान उनके कम क्या हैं!
उनके रंगों में मिल गये हैं गुलाब
अब किसे क्या बताएंबतायें, हम क्या हैं!
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