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धानभाजी टोरे बर खेत-कोदीखार "औ" बियारा जाये, राहेर, जुवारी-जोंधरी कपसातिली, सननान-वन बोए जाथे इही ॠतुनान टूरा-मां टूरी मन घर-घर के बतर-बियासी अउ निंदई-कोड़ई करकेनी, मुसकेनी, गुंड़रु, चरोटा, पथरिया,बनिहार मन बनी पाथें इही ॠतु मां मंछरिया भाजी लायं ओली भर भर के ।।
हरेलीमछरी मारे ला जायं ढीमर-केंवट मन, नाग पंचमीतरिया "औ" नदिया मां फांदा धर-धर के ।खोखसी, राखीपढ़ीना, आठेटेंगना, कोतरी, बाम्बी धरे, तीजा-पोरागनेसढूंटी-बिहार, सब आथें इही ॠतु मां गायभरत जायं साफ कर-गोरु मन धरसा-मां जाके हरियर,हरियर चारा बने खायें इही ॠतु मां कर के ।।
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