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[[Category:ग़ज़ल]]
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मैं कब से गोश बर-आवाज़ हूँ पुकारो भी
ज़मीं पर यह सितारे कभी उतारो भी
मैं कब से गोश बर-आवाज़ हूँ पुकारो भी<br>मेरी गय्यूर उमंगो, शबाब फानी हैज़मीं पर यह सितारे कभी उतारो गुरूर-ए-इश्क़ का देरीना खेल हारो भी<br><br>
मेरी गय्यूर उमंगो, शबाब फानी भटक रहा है<br>गुरूरधुन्धल्कों में कारवान-ए-इश्क़ का देरीना खेल हारो ख़यालबस अब खुदा के लिए काकुलें संवारो भी<br><br>
भटक रहा है धुन्धल्कों में कारवानमेरी तलाश की मेराज हो तुम्हीं लेकिननकाब उठाओ, निशान-ए-ख़याल<br>बस अब खुदा के लिए काकुलें संवारो सफ़र उभारो भी<br><br>
मेरी तलाश की मेराज हो तुम्हीं लेकिन<br>नकाब उठाओ, निशान-ए-सफ़र उभारो भी<br><br> यह काएनात, अजल से सुपुर्द-ए-इन्सां है<br>मगर नदीम तुम इस बोझ को सहारो भी<br><br/poem>
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