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ही छै ऊ भोलाभाला;
अलग-अलग पथ बतलाबै सब
हम्में ई बतलाबै छीµछी-
‘पथ पकड़ी केॅ चल्ले चल तों
पावी लेबे मधुशाला’ । ६
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