भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार=फ़िराक़ गोरखपुरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>देखते देखते उतर भी गये<br>उन के तीर अपना काम कर भी गये<br><br>
हुस्न पर भी कुछ आ गये इलज़ाम<br>गो बहुत अहल-ए-दिल के सर भी गये<br><br>
यूँ भी कुछ इश्क नेक नाम ना था<br>लोग बदनाम उसको कर भी गये<br><br>
कुछ परेशान से थे भी अहल-ए-जुनूंन<br>गेसु-ए-यार कुछ बिखर भी गए<br><br>
आज उन्हें मेहरबान सा पाकर<br>खुश हुए और जी में डर भी गए<br><br>
इश्क में रूठ कर दो आलम से<br>लाख आलम मिले जिधर भी गये<br><br>
हूँ अभी गोश पुर सदा और वो<br>
ज़ेर-ए-लब कह के कुछ मुकर भी गये
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
16,172
edits