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प्रदान / प्रेमराजेश्वरी

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फेरि समर्पण कता, कसरि अभिलाषा भए प्रदान ?
दिन सकीनँ प्रियतम दान ।
 
रोयो धुरूधुरू नीरवता ओस अश्रु सुकुमार
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