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मुझसे मेरा नाम न पूछो ।
तुमको अगणित चिन्ताएँ हैं, तुम दुनिया के चिन्तित मानव,सह न सकोगे दुर्बल जर्जर, मेरी अन्तर्ध्वनियों का रव। अपना उजड़ा-सा घर देखो मेरा उजड़ा गाम न पूछो । मुझसे मेरा नाम न पूछो ।।
तुमको अपनी सौ साधें हैं, तुमको अपने सौ धन्धे हैं,मेरी साधें शव हैं जिनको, दूभर मिलने दो कन्धे हैं। मत पूछो मैं क्यों आया हूँ काम बढ़ेगा ,काम न पूछो । मुझसे मेरा नाम न पूछो ।।
मैं राही हूँ जिसने चलना, शुरू किया है आन्धी से लड़नामैं राही हूँ जिसकी राहें, गुरु गिरि गह्वर ऊबड़- खाबड़ सुबह मौत के मुँह से निकला आने वाली शाम न पूछो । मुझसे मेरा नाम न पूछो ।।।
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