मुझसे मेरा नाम न पूछो / गोपीकृष्ण 'गोपेश'
मुझसे मेरा नाम न पूछो ।
तुमको अगणित चिन्ताएँ हैं, तुम दुनिया के चिन्तित मानव,
सह न सकोगे दुर्बल जर्जर, मेरी अन्तर्ध्वनियों का रव ।
अपना उजड़ा-सा घर देखो
मेरा उजड़ा गाम न पूछो ।
मुझसे मेरा नाम न पूछो ।।
तुमको अपनी सौ साधें हैं, तुमको अपने सौ धन्धे हैं,
मेरी साधें शव हैं जिनको, दूभर मिलने दो कन्धे हैं ।
मत पूछो मैं क्यों आया हूँ
काम बढ़ेगा ,काम न पूछो ।
मुझसे मेरा नाम न पूछो ।।
मैं राही हूँ जिसने चलना, शुरू किया है आन्धी से लड़ना
मैं राही हूँ जिसकी राहें, गुरु गिरि गह्वर ऊबड़- खाबड़
सुबह मौत के मुँह से निकला
आने वाली शाम न पूछो ।
मुझसे मेरा नाम न पूछो ।।