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बसो मोरे नैनन में / मीराबाई

17 bytes removed, 15:37, 20 अगस्त 2020
|रचनाकार= मीराबाई
}}
[[Category:पद]]{{KKCatPad}}<poem>बसो मोरे नैनन में नंदलाल।<br>मोहनी मूरति सांवरि सूरति, नैणा बने बिसाल।<br>अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती-माल।।<br>छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल।<br>मीरा प्रभु संतन सुखदाई, भगत बछल गोपाल।।<br><br/poem>
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