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|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>सुनो राजा विक्रमार्क !
रात के सन्नाटे में
ख़ामोशियों का शोर जब शुरू होता है
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