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<poem>
उम्मीद भी किरदार पे पूरी नहीं उतरी ये शब <ref>रात</ref>दिले-बीमार पे पूरी नहीं उतरी
क्या ख़ौफ़ <ref>भय</ref>का मंज़र<ref>दृश्य</ref>था तेरे शहर में कल रात