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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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लौटते कभी नहीं
 
आँसू में गाए दिन
 ओस में नहाए दिन ।दिन।
सुधियों कि गोद में
 
रात-रात जागकर
 
भारी पलकों में सजे
 
उलझी अलकों में सजे
बीते जो तुम्हारे बिन
 लौटते नहीं कभी ।कभी।
पहुँच किसी मोड़ पर
 
रिश्ते सभी छोड़कर
 
फिर दूर तक निहारते
 
उस प्यार को पुकारते
 
फिसले हाथ से जो छिन
 लौटते कभी नहीं ।नहीं।</poem>
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