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आँखों में जब हरा है दर्द
पलकों की छत पर है रोकापे रुकता क्यूँ मुंडेरों पे मरा शायद के कुछ डरा है दर्द
यादों की इक आग जला करमें जल के कहा है हमने कहा के खरा है दर्द
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