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"ब्याव (5) / सत्यप्रकाश जोशी" के अवतरणों में अंतर

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नई कांन्ह! नईं
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थारौ म्हारौ ब्याव कोनी हो सकै!
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थारी म्हारी बात ई न्यारी,
 
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स्रिस्टी रै पै‘लै दिन सूं
 
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एक दूजा नै ओळखां,
 
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आपा रौ ब्याव कियां होवै ?
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म्हारै आंगणियै लाखां नै
 
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साई दै क्यूं बुलाऊं ?
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क्यूं स्वयंवर रचाऊं ?
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क्यूं हरण रौ सांग कराऊं ?
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नारी रै माथै री मांग
 
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पुरख रै बळ सूं क्यूं तोलूं ?
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म्हारी प्रीत अबोली, म्हैं क्यूं बोलूं ?
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16:48, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

नई कांन्ह! नईं
थारौ म्हारौ ब्याव कोनी हो सकै!

थारी म्हारी बात ई न्यारी,
म्हारै थारै प्रेम री जात ई न्यारी,
आपां एक दूजा सूं
अणजांण कठै ?
स्रिस्टी रै पै‘लै दिन सूं
एक दूजा नै ओळखां,
आपा रौ ब्याव कियां होवै?
म्हारै आंगणियै लाखां नै
साई दै क्यूं बुलाऊं?
क्यूं स्वयंवर रचाऊं?
क्यूं हरण रौ सांग कराऊं?
नारी रै माथै री मांग
पुरख रै बळ सूं क्यूं तोलूं?
म्हारी प्रीत अबोली, म्हैं क्यूं बोलूं?