भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गोपाल सिंह नेपाली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 41: | पंक्ति 41: | ||
* [[निज राष्ट्र के शरीर के सिंगार के लिए / गोपाल सिंह नेपाली]] | * [[निज राष्ट्र के शरीर के सिंगार के लिए / गोपाल सिंह नेपाली]] | ||
* [[तारे चमके, तुम भी चमको / गोपाल सिंह नेपाली]] | * [[तारे चमके, तुम भी चमको / गोपाल सिंह नेपाली]] | ||
− | * [[ / गोपाल सिंह नेपाली]] | + | * [[मैं प्यासा भृंग जनम भर का / गोपाल सिंह नेपाली]] |
23:35, 20 जनवरी 2011 का अवतरण
गोपाल सिंह नेपाली
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | 11 अगस्त 1911 |
---|---|
निधन | 17 अप्रैल 1963 |
उपनाम | गोपाल बहादुर सिंह (मूल नाम) |
जन्म स्थान | बेतिया, जिला चम्पारन, बिहार, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
उमंग (1933), पंछी (1934), रागिनी (1935), पंचमी (1942), नवीन (1944), नीलिमा (1945), हिमालय ने पुकारा (1963) | |
विविध | |
फ़िल्मों में लगभग 400 धार्मिक गीत लिखे। | |
जीवन परिचय | |
गोपाल सिंह नेपाली / परिचय |
<sort order="asc" class="ul">
- भाई - बहन / गोपाल सिंह नेपाली
- बाबुल तुम बगिया के तरुवर / गोपाल सिंह नेपाली
- दीपक जलता रहा रातभर / गोपाल सिंह नेपाली
- नवीन कल्पना करो / गोपाल सिंह नेपाली
- सरिता / गोपाल सिंह नेपाली
- यह दिया बुझे नहीं / गोपाल सिंह नेपाली
- हिमालय और हम / गोपाल सिंह नेपाली
- हिमालय ने पुकारा / गोपाल सिंह नेपाली
- प्रार्थना बनी रही / गोपाल सिंह नेपाली
- गरीब का सलाम ले / गोपाल सिंह नेपाली
- मेरा धन है स्वाधीन क़लम / गोपाल सिंह नेपाली
- मेरी दुल्हन सी रातों को ... / गोपाल सिंह नेपाली
- स्वतंत्रता का दीपक / गोपाल सिंह नेपाली
- अपनेपन का मतवाला / गोपाल सिंह नेपाली
- बदनाम रहे बटमार / गोपाल सिंह नेपाली
- मुसकुराती रही कामना / गोपाल सिंह नेपाली
- यह लघु सरिता का बहता जल / गोपाल सिंह नेपाली
- वसंत गीत / गोपाल सिंह नेपाली
- कुछ ऐसा खेल रचो साथी / गोपाल सिंह नेपाली
- दो प्राण मिले / गोपाल सिंह नेपाली
- दूर जाकर न कोई बिसारा करे / गोपाल सिंह नेपाली
- शासन चलता तलवार से / गोपाल सिंह नेपाली
- कुछ मुक्तक / गोपाल सिंह नेपाली
- तू पढ़ती है मेरी पुस्तक / गोपाल सिंह नेपाली
- तुम कहीं रह गए, हम कहीं रह गए / गोपाल सिंह नेपाली
- निज राष्ट्र के शरीर के सिंगार के लिए / गोपाल सिंह नेपाली
- तारे चमके, तुम भी चमको / गोपाल सिंह नेपाली
- मैं प्यासा भृंग जनम भर का / गोपाल सिंह नेपाली