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"जेल का अमरूद / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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बहुत दिनों से टिका कर रक्खा था
 
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बैरक के पीछे झुलसे हुए पेड़ पर
 
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एक अमरूद
 
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पहले दिन जब अचानक उधर से गुज़रते
 
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सिहुली लगी डालों पत्तों के बीच
 
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पड़ी थी नज़र
 
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तो अभी-अभी फूल से उठा ही था फल
 
तो अभी-अभी फूल से उठा ही था फल
 
 
हरा कचूर
 
हरा कचूर
 
  
 
रोज़ देख आता था एक बार
 
रोज़ देख आता था एक बार
 
 
किसी से बिना बताए चुपचाप किसी न किसी बहाने
 
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और आख़िर जब रहा नहीं गया आज
 
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तो
 
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तोड़ ही लाया हूँ
 
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बस एक काट काटा अमरूद
 
बस एक काट काटा अमरूद
 
 
कि भर गया रस से सारा शरीर
 
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भींग गई हड्डी तक
 
भींग गई हड्डी तक
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13:38, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

बहुत दिनों से टिका कर रक्खा था
बैरक के पीछे झुलसे हुए पेड़ पर
एक अमरूद

पहले दिन जब अचानक उधर से गुज़रते
सिहुली लगी डालों पत्तों के बीच
पड़ी थी नज़र
तो अभी-अभी फूल से उठा ही था फल
हरा कचूर

रोज़ देख आता था एक बार
किसी से बिना बताए चुपचाप किसी न किसी बहाने
और आख़िर जब रहा नहीं गया आज
तो
तोड़ ही लाया हूँ

बस एक काट काटा अमरूद
कि भर गया रस से सारा शरीर
भींग गई हड्डी तक