भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नैन मिले अनमोल / शतदल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शतदल |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} <poem> जोगन, नैन मिले अनमोल, ओस …) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 24: | पंक्ति 24: | ||
दुनिया में रस घोल, | दुनिया में रस घोल, | ||
जोगन, नैन मिले अनमोल । | जोगन, नैन मिले अनमोल । | ||
− | </poem | + | </poem> |
14:54, 25 मार्च 2011 के समय का अवतरण
जोगन, नैन मिले अनमोल,
ओस कनों से कोमल सपने
पलकों-पलकों तौल !
जोगन, नैन मिले अनमोल !
इन सपनों की बात निराली,
दिन-दिन होली, रात दिवाली ।
इनसे माँग नदी-झरनों के
मीठे-मीठे बोल !
जोगन, नैन मिले अनमोल !
सपनों का क्या ठौर-ठिकाना,
जाने कब आना, कब जाना ।
नयन झरोखों से तू अपनी
दुनिया में रस घोल,
जोगन, नैन मिले अनमोल ।