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"विनयावली() / तुलसीदास / पृष्ठ 3" के अवतरणों में अंतर

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'''पद संख्या 21 तथा 22'''
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(21)
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ज्मुना ज्यों ज्यों लागी बाढ़न।
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त्यों त्यों सुकृत-सुभट कलि भूपहिं, निदरि लगे बहु काढ़न।1।
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ज्यों ज्यों जल मलीन त्यों त्यों जमगन मुख मलीन लहै आढ़ न
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तुलसिदास जगदघ जवास ज्यों अनघमेघ लगे डाढ़न।2।
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(22)
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स्ेाइअ सहित सनेेह देह भरि,कामधेनु कलि कासी।
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समनि सोक संताप पाप रूज, सकल-सुमंगल-रासी।1।
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मरजादा चहुँ ओर चरनबर, सेवत सुरपुर-बासी।
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तीरथ सब सुभ अंग रोम सिवलिंग अमित अविनासी।2।
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अंतरऐन ऐन भल, थन फल, बच्छ बेद-बिस्वासी।
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गलकंबल बरूना बिभा िजनु, लूम लसति, सरिताऽसि।3।
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दंड पानि भैरव बिषान,तलरूचि-खलगन-भयदा-सी।
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लोलदिनेस त्रिलोचन लोचन, करनघंट घंटा-सी।4।
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मनिकर्निका बदन-ससि सुंदर, सुसरि-सुख सुखमा-सी।
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स्वारथ परमारथ परिपूरन,पंचकोसि महिमा-सी।5।
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बिस्वनाथ पालक कृपालुचित7 लालति नित गिरजा-सी।
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सिद्धि, सची, सारद पूजहिं मन जोगवति रहति रमा-सी।
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पंचााच्छरी प्रान7 मुद माधव7 गब्य सुपंचनदा-सी।
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ब्रह्म-जीव-सम रामनाम जुग, आखर बिस्व बिकासी।7।
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चारितु चरिति करम कुकरम करि, मरत जीवगन घासी।
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लहत परम पद प्य पावन, जेहि चहत प्रपंच- उदासी।8।
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कहत पुरान रची केसव निज कर-करतूति कला -सी।
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तुलसी बसि हरपुरी राम जपु, जो भयो चहै सुपासी।9।
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21:07, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण