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"प्रार्थना / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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18:50, 21 अक्टूबर 2007 का अवतरण


(कवि राजा खुगशाल के लिए)

यह दुनिया

औरतों के हाथों में दे दो


रॊटी की तरह गोल और फूली

इस पृथ्वी पर

प्रेम की मधुर आँच हैं

रस माधुर्य का स्रोत हैं

इस सृष्टि में

जीवन की पवित्र कोख हैं औरतें


औरतों के हाथों में

सम्हली रहेगी यह दुनिया

बेहतर और सुन्दर बनेगी


रचना की प्रेरणा हैं औरतें

सूर्य की ऊष्मा हैं

ऊर्जा का उदगम हैं

हर्ष हैं हमारे जीवन का

उल्लास हैं

उज्ज्वल, निर्द्वन्द्व ममता की सर्जक हैं


हे पुरुषों !

एक ही प्रार्थना है तुमसे

यह हमारी दुनिया

औरतों के हाथों में दे दो

अगर तुम सुरक्षित रखना चाहते हो इसे

अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए


(2001 में रचित)