भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेरी प्यारी दादी-माँ / श्याम सुन्दर अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
<poem>
 
<poem>
 
मेरी  प्यारी दादी-माँ,
 
मेरी  प्यारी दादी-माँ,
सब से न्यारी दादी-माँ ।
+
सब से न्यारी दादी-माँ।
 
बड़े प्यार से सुबह उठाए,
 
बड़े प्यार से सुबह उठाए,
मुझको मेरी  दादी-माँ ।
+
मुझको मेरी  दादी-माँ।
  
 
नहला कर  कपड़े  पहनाए,
 
नहला कर  कपड़े  पहनाए,
खूब  सजाए  दादी-माँ ।
+
खूब  सजाए  दादी-माँ।
 
लेकर मेरा    बैग स्कूल का,
 
लेकर मेरा    बैग स्कूल का,
संग-संग जाए दादी-माँ ।
+
संग-संग जाए दादी-माँ।
  
 
आप न खाए मुझे खिलाए,
 
आप न खाए मुझे खिलाए,
 
ऐसी प्यारी  दादी-माँ ।
 
ऐसी प्यारी  दादी-माँ ।
 
ताज़ा जूस, गिलास दूध का,
 
ताज़ा जूस, गिलास दूध का,
हर रोज़ पिलाए दादी-माँ ।
+
हर रोज़ पिलाए दादी-माँ।
  
 
सुंदर कपड़े और खिलौने,
 
सुंदर कपड़े और खिलौने,
मुझे दिलाए दादी-माँ ।
+
मुझे दिलाए दादी-माँ।
 
बात सुनाए, गीत सुनाए,
 
बात सुनाए, गीत सुनाए,
रूठूँ तो मनाए दादी-माँ ।
+
रूठूँ तो मनाए दादी-माँ।
  
 
यह करना है, वह नहीं करना,
 
यह करना है, वह नहीं करना,
मुझको समझाए दादी-माँ ।
+
मुझको समझाए दादी-माँ।
 
लोरी देकर पास सुलाए,
 
लोरी देकर पास सुलाए,
ये मेरी प्यारी दादी-माँ ।।
+
ये मेरी प्यारी दादी-माँ।
 
</poem>
 
</poem>

16:20, 8 मई 2015 के समय का अवतरण

मेरी प्यारी दादी-माँ,
सब से न्यारी दादी-माँ।
बड़े प्यार से सुबह उठाए,
मुझको मेरी दादी-माँ।

नहला कर कपड़े पहनाए,
खूब सजाए दादी-माँ।
लेकर मेरा बैग स्कूल का,
संग-संग जाए दादी-माँ।

आप न खाए मुझे खिलाए,
ऐसी प्यारी दादी-माँ ।
ताज़ा जूस, गिलास दूध का,
हर रोज़ पिलाए दादी-माँ।

सुंदर कपड़े और खिलौने,
मुझे दिलाए दादी-माँ।
बात सुनाए, गीत सुनाए,
रूठूँ तो मनाए दादी-माँ।

यह करना है, वह नहीं करना,
मुझको समझाए दादी-माँ।
लोरी देकर पास सुलाए,
ये मेरी प्यारी दादी-माँ।