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ब्रत, तीरथ न धर्म जानौं ,बेदबिधि किमि है।
 
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मेरें तौ न डरू, रघुबीर! सुनौ  , साँची कहौं ,  
 
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खल अनखैहैं  तुम्हैं, सज्जन न गमिहैं।  
 
खल अनखैहैं  तुम्हैं, सज्जन न गमिहैं।  
  
भले सुकृतीके संग मोहि तुलाँ तौलिए तौ,  
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नामकेें प्रसाद भारू मेरी ओर नामिहैं।।
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जाति के, सुजाति के, कुजाति के पेटागि बस,
 
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खाए टूक सबके, बिदित बात दूनीं सों।  
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खाए टूक सबके, बिदित बात दूनीं सों।  
  
मानस-बचन-कायँ किए पाप सतिभायँ,
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रामनामको प्रभाउ, पाउ,महिमा, प्रतापु,
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तुलसी-सो जग मनिअत महामुनी-सो।
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अतिहीं अभागो, अनुरागत न रामपद,  
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अतिहीं अभागो, अनुरागत न रामपद,  
 
मूढ़ एतो बड़ो अचिरिजु देखि-सुनी सो।।  
 
मूढ़ एतो बड़ो अचिरिजु देखि-सुनी सो।।  
  
 
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10:55, 8 मई 2011 के समय का अवतरण


नामविश्वास-4

(71)

जोगु न बिरागु , जप, जाग ,तप, त्यागु ,
ब्रत, तीरथ न धर्म जानौं ,बेदबिधि किमि है।

    तुलसी-सो पोच न भयो है , नहि ह्वैहै कहूँ,
   सोचैं सब, याके अघ कैसे प्रभु छमिहैं।

मेरें तौ न डरू, रघुबीर! सुनौ , साँची कहौं ,
खल अनखैहैं तुम्हैं, सज्जन न गमिहैं।

    भले सुकृतीके संग मोहि तुलाँ तौलिए तौ,
    नामकेें प्रसाद भारू मेरी ओर नामिहैं।।

(72)

जाति के, सुजाति के, कुजाति के पेटागि बस,
खाए टूक सबके, बिदित बात दूनीं सों।

    मानस-बचन-कायँ किए पाप सतिभायँ,
    रामनामको प्रभाउ, पाउ,महिमा, प्रतापु,
    तुलसी-सो जग मनिअत महामुनी-सो।

अतिहीं अभागो, अनुरागत न रामपद,
मूढ़ एतो बड़ो अचिरिजु देखि-सुनी सो।।