भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ज़रा ठहरो / नीलेश रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=घर-निकासी / नीलेश रघुवंशी | |संग्रह=घर-निकासी / नीलेश रघुवंशी | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
ज़रा ठहरो | ज़रा ठहरो | ||
− | |||
इस मकान की पहली बरसात | इस मकान की पहली बरसात | ||
− | |||
याद आ गई घर की । | याद आ गई घर की । | ||
− | |||
− | |||
छोटे भाई-बहनों को न निकलने की | छोटे भाई-बहनों को न निकलने की | ||
− | |||
हिदायत देती हुई | हिदायत देती हुई | ||
− | |||
− | |||
जल्दी-जल्दी बाहर से कपड़े | जल्दी-जल्दी बाहर से कपड़े | ||
− | |||
समेट रही होगी माँ । | समेट रही होगी माँ । | ||
− | |||
− | |||
पिता चढ़ आए होंगे छत पर | पिता चढ़ आए होंगे छत पर | ||
− | |||
भाई निकल गया होगा | भाई निकल गया होगा | ||
− | |||
साइकिल पर बरसाती लेने । | साइकिल पर बरसाती लेने । | ||
− | |||
− | |||
पानी ज़रा ठहरो छत को ठीक होने दो | पानी ज़रा ठहरो छत को ठीक होने दो | ||
− | |||
ले आने दो भाई को बरसाती । | ले आने दो भाई को बरसाती । | ||
+ | </poem> |
11:15, 3 मार्च 2010 के समय का अवतरण
ज़रा ठहरो
इस मकान की पहली बरसात
याद आ गई घर की ।
छोटे भाई-बहनों को न निकलने की
हिदायत देती हुई
जल्दी-जल्दी बाहर से कपड़े
समेट रही होगी माँ ।
पिता चढ़ आए होंगे छत पर
भाई निकल गया होगा
साइकिल पर बरसाती लेने ।
पानी ज़रा ठहरो छत को ठीक होने दो
ले आने दो भाई को बरसाती ।