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"माँ जो रूठे / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
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चाँदनी का शहर, तारों की हर गली, | चाँदनी का शहर, तारों की हर गली, | ||
− | माँ की गोदी में हम घूम | + | माँ की गोदी में हम घूम आए। |
− | नीला-नीला गगन चूम | + | नीला-नीला गगन चूम आए। |
पंछियों की तरह पंख अपने न थे, | पंछियों की तरह पंख अपने न थे, | ||
ऊँचे उड़ने के भी कोई सपने न थे, | ऊँचे उड़ने के भी कोई सपने न थे, | ||
माँ का आँचल मिला हमको जबसे मगर | माँ का आँचल मिला हमको जबसे मगर | ||
− | हर जलन, हर तपन भूल | + | हर जलन, हर तपन भूल आए। |
दूसरों के लिए सारा संसार था, | दूसरों के लिए सारा संसार था, | ||
पर हमारे लिए माँ का ही प्यार था, | पर हमारे लिए माँ का ही प्यार था, | ||
सारे नाते हमारे थे माँ से जुड़े, | सारे नाते हमारे थे माँ से जुड़े, | ||
− | माँ जो रूठे तो जग रूठ | + | माँ जो रूठे तो जग रूठ जाए। |
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17:49, 26 जून 2017 के समय का अवतरण
चाँदनी का शहर, तारों की हर गली,
माँ की गोदी में हम घूम आए।
नीला-नीला गगन चूम आए।
पंछियों की तरह पंख अपने न थे,
ऊँचे उड़ने के भी कोई सपने न थे,
माँ का आँचल मिला हमको जबसे मगर
हर जलन, हर तपन भूल आए।
दूसरों के लिए सारा संसार था,
पर हमारे लिए माँ का ही प्यार था,
सारे नाते हमारे थे माँ से जुड़े,
माँ जो रूठे तो जग रूठ जाए।