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"मेरी आँखों में जब तक नमी है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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तेरी महफ़िल तभी तक जमी है
 
तेरी महफ़िल तभी तक जमी है
  
जो पराई जलन से न तडपे
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जो पराई जलन से न तड़पे
 
आदमी वह कोई आदमी है!
 
आदमी वह कोई आदमी है!
  

02:14, 12 अगस्त 2011 का अवतरण


मेरी आँखों में जब तक नमी है
तेरी महफ़िल तभी तक जमी है

जो पराई जलन से न तड़पे
आदमी वह कोई आदमी है!

आज उन सुर्ख़ होंठों की फड़कन
एक अहम बात पर आ थमी है

प्यार कम तो नहीं है उधर भी
देखनेवाले, तुझमें कमी है

रंग अच्छा गुलाब आपका हो
रंग पर यह महज़ मौसमी है