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ज़िन्दगी में यह सवाल उठता है अक्सर, क्या करें! / गुलाब खंडेलवाल
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21:35, 6 जुलाई 2011
हाथ डाँड़ों पर नहीं, किस्मत को कहते हैं बुरा
नाव
खुद
ख़ुद
ही डूबती जाती,
समुन्दर
समन्दर
क्या करें!
पूछनी थी जब न पूछी बात, मुरझाये गुलाब
फूल अब बरसा करें उनपर कि पत्थर, क्या करें!
<poem>
Vibhajhalani
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