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"कभी होठों पे दिल की बेबसी लाई नहीं जाती / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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कुछ ऐसी बात है जो कहके बतलायी नहीं जाती
 
कुछ ऐसी बात है जो कहके बतलायी नहीं जाती
  
न यों मुंह फेरकर सो जा, मेरी तक़दीर के मालिक!
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न यों मुँह फेरकर सो जा, मेरी तक़दीर के मालिक!
 
कहानी ज़िन्दगी की फिर से दुहरायी नहीं जाती
 
कहानी ज़िन्दगी की फिर से दुहरायी नहीं जाती
  
वे सुर कुछ और ही हैं जिनसे यह नग्मा निकलता है
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ये वो धुन है जो हर एक साज़ पर गायी नहीं जाती
 
ये वो धुन है जो हर एक साज़ पर गायी नहीं जाती
  

03:00, 7 जुलाई 2011 का अवतरण


कभी होठों पे दिल की बेबसी लाई नहीं जाती
कुछ ऐसी बात है जो कहके बतलायी नहीं जाती

न यों मुँह फेरकर सो जा, मेरी तक़दीर के मालिक!
कहानी ज़िन्दगी की फिर से दुहरायी नहीं जाती

वे सुर कुछ और ही हैं जिनसे यह नग़्मा निकलता है
ये वो धुन है जो हर एक साज़ पर गायी नहीं जाती

हमारा दिल तो कहता है, उन्हें भी प्यार है हमसे
तड़प उसकी भले ही हमको दिखलायी नहीं जाती

नहीं जाती, गुलाब! उन शोख़ आँखों की महक दिल से
हमारे आइने से अब वो परछाईं नहीं जाती