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"बात बनती नहीं / हनीफ़ साग़र" के अवतरणों में अंतर

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कैसे सहता है मिलके बिछडने का ग़म
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उससे पूछेंगे अब के मुलाक़ात में
  
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मुफ़लिसी और वादा किसी यार का
उससे पूछेंगे अब के मुलाक़ात में<br><br>
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खोटा सिक्का मिले जैसे ख़ैरात में
  
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जब भी होती है बारिश कही ख़ून की
खोटा सिक्का मिले जैसे ख़ैरात में<br><br>
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मुझको किस्मत ने इसके सिवा क्या दिया
भीगता हूं सदा मैं ही बरसात में<br><br>
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कुछ लकीरें बढा दी मेरे हाथ में
  
मुझको किस्मत ने इसके सिवा क्या दिया<br>
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ज़िक्र दुनिया का था, आपको क्या हुआ
कुछ लकीरें बढा दी मेरे हाथ में<br><br>
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आप गुम हो गए किन ख़यालात में
  
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दिल में उठते हुए वसवसों के सिवा
आप गुम हो गए किन ख़यालात में<br><br>
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कौन आता है `साग़र' सियह रात में
 
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दिल में उठते हुए वसवसों के सिवा<br>
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कौन आता है `साग़र' सियह रात में<br><br>
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08:57, 15 मई 2015 का अवतरण

बात बनती नहीं ऐसे हालात में
मैं भी जज़्बातमें, तुम भी जज़्बात में

कैसे सहता है मिलके बिछडने का ग़म
उससे पूछेंगे अब के मुलाक़ात में

मुफ़लिसी और वादा किसी यार का
खोटा सिक्का मिले जैसे ख़ैरात में

जब भी होती है बारिश कही ख़ून की
भीगता हूं सदा मैं ही बरसात में

मुझको किस्मत ने इसके सिवा क्या दिया
कुछ लकीरें बढा दी मेरे हाथ में

ज़िक्र दुनिया का था, आपको क्या हुआ
आप गुम हो गए किन ख़यालात में

दिल में उठते हुए वसवसों के सिवा
कौन आता है `साग़र' सियह रात में