भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"धातु युग / रवि प्रकाश" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Ravi prakash (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: रौंद डालते हैं तुम्हारे बमवर्षक दुनियां की सरहदें आसमान में तार…) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{KKGlobal}} | ||
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार =रवि प्रकाश | ||
+ | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
रौंद डालते हैं तुम्हारे बमवर्षक | रौंद डालते हैं तुम्हारे बमवर्षक | ||
पंक्ति 31: | पंक्ति 37: | ||
हम गढ़ेगे | हम गढ़ेगे | ||
− | और हर चीख का हिसाब मांगेंगे | + | और हर चीख का हिसाब मांगेंगे</poem> |
11:23, 23 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
रौंद डालते हैं तुम्हारे बमवर्षक
दुनियां की सरहदें
आसमान में तारों की जगह
टिमटिमाती रहती हैं तुम्हारे बमवर्षकों की बत्तियां !
तुम क्या समझते हो ;
क्या इस युग के सारे हथियार
सिर्फ लोहे बनाए जायेंगे ?
नहीं
ये धातु युग नहीं है
अगर कहते हो इसे ज्ञान और विज्ञान युग
तोह इस युग का हथियार
विचारों से गढ़ा जाएगा
अगर सुन सकते हो तो सुनो !
इस युग का हथियार
जो विचारों से गढ़ा जाएगा
हम गढ़ेगे
और हर चीख का हिसाब मांगेंगे