भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सदस्य:महावीर जोशी पूलासर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: क्यु जी सोरो करै,दुसरा गै घर री बाता सुण गै, जकी बी घर मॆ हॊवण लागरी…) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | क्यु जी सोरो करै, | |
− | क्यु जी सोरो करै,दुसरा गै घर री बाता सुण गै, | + | दुसरा गै घर री बाता सुण गै, |
− | जकी बी घर मॆ हॊवण लागरी है बा ही तॊ तॆरॆ घर मॆ हॊवॆ, | + | जकी बी घर मॆ हॊवण लागरी है |
− | तु भीत रै चिप्यॊरॊ इनै, बॊ ही तॊ बिनॆ चिप्यॊडॊ खड्यॊ है, | + | बा ही तॊ तॆरॆ घर मॆ हॊवॆ, |
+ | तु भीत रै चिप्यॊरॊ इनै, | ||
+ | बॊ ही तॊ बिनॆ चिप्यॊडॊ खड्यॊ है, | ||
क्यु नी सॊचै तु कै ..भीता कै भी कान हॊवॆ, | क्यु नी सॊचै तु कै ..भीता कै भी कान हॊवॆ, | ||
− | आज तु सुणसी काल बॊ तॆरी सुणसी, | + | आज तु सुणसी |
− | क्यु सरमा मरै, मॊरीयॊ पगा कानी दॆख गॆ रॊवै , | + | काल बॊ तॆरी सुणसी, |
+ | क्यु सरमा मरै, | ||
+ | मॊरीयॊ पगा कानी दॆख गॆ रॊवै , |
13:40, 26 सितम्बर 2011 का अवतरण
क्यु जी सोरो करै, दुसरा गै घर री बाता सुण गै, जकी बी घर मॆ हॊवण लागरी है बा ही तॊ तॆरॆ घर मॆ हॊवॆ, तु भीत रै चिप्यॊरॊ इनै, बॊ ही तॊ बिनॆ चिप्यॊडॊ खड्यॊ है, क्यु नी सॊचै तु कै ..भीता कै भी कान हॊवॆ, आज तु सुणसी काल बॊ तॆरी सुणसी, क्यु सरमा मरै, मॊरीयॊ पगा कानी दॆख गॆ रॊवै ,