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"अब मत सोचो / ठाकुरप्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=वंशी और मादल / ठाकुरप्रसाद सिंह
 
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अब मत सोचो प्रिय रे, अब मत सोचो
 
अब मत सोचो प्रिय रे, अब मत सोचो
 
 
आँखों के जल को प्रिय वंशी से पोंछो
 
आँखों के जल को प्रिय वंशी से पोंछो
 
  
 
धानों के खेतों-सी गीली
 
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मन में यह जो राह गई है
 
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उस पर से लौट गए प्रियतम के
 
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पैरों की छाप नई है
 
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पाँवों के चिन्हों में जल जो निथराया
 
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मन का ही दर्द उमड़ अँखियन में छाया
 
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आँखों में भर आए उस जल को प्यारे
 
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तुम वंशी से पोंछो
 
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अब मत सोचो
 
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00:25, 20 मार्च 2011 के समय का अवतरण

अब मत सोचो प्रिय रे, अब मत सोचो
आँखों के जल को प्रिय वंशी से पोंछो

धानों के खेतों-सी गीली
मन में यह जो राह गई है
उस पर से लौट गए प्रियतम के
पैरों की छाप नई है

पाँवों के चिन्हों में जल जो निथराया
मन का ही दर्द उमड़ अँखियन में छाया

आँखों में भर आए उस जल को प्यारे
तुम वंशी से पोंछो
अब मत सोचो