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नव जलद के सर पर हाथ फेर कर | नव जलद के सर पर हाथ फेर कर |
04:59, 1 जनवरी 2012 के समय का अवतरण
प्रेम में मगन रहना चाहता हूँ
फिर भी चिथड़ा ही रहता हूँ ।
नव जलद के सर पर हाथ फेर कर
प्यास मिटाता हूँ ।
उग नहीं रही आत्मा की
मिट्टी में कोई फ़सल
केवल टूटी हुई सुई
ढूँढ़ता रहता हूँ ।