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केवल / समीर बरन नन्दी

3 bytes added, 23:29, 31 दिसम्बर 2011
<poem>
प्रेम में मगन रहना चाहता हूँ
फिर भी चिथड़ा ही रहता हू हूँ
नव जलद के सर पर हाथ फेर कर
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