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"दो-चार गाम / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर

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(हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी.....)
 
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दो-चार गाम राह को
 
दो-चार गाम राह को
 
 
हमवार देखना
 
हमवार देखना
 
 
फिर हर क़दम पे इक नयी
 
फिर हर क़दम पे इक नयी
 
 
दीवार देखना |
 
दीवार देखना |
 
  
 
आँखों की रौशनी से है
 
आँखों की रौशनी से है
 
 
हर संग आइना
 
हर संग आइना
 
 
हर आईने में खुद को
 
हर आईने में खुद को
 
 
गुनाहगार देखना |
 
गुनाहगार देखना |
 
  
 
हर आदमी में होते हैं
 
हर आदमी में होते हैं
 
 
दस-बीस आदमी
 
दस-बीस आदमी
 
 
जिसको भी देखना हो
 
जिसको भी देखना हो
 
 
कई बार देखना |
 
कई बार देखना |
 
 
  
 
मैदाँ की हार-जीत तो
 
मैदाँ की हार-जीत तो
 
 
क़िस्मत की बात है
 
क़िस्मत की बात है
 
 
टूटी है जिसके हाथ में
 
टूटी है जिसके हाथ में
 
 
तलवार देखना |
 
तलवार देखना |
 
  
 
दरिया के उस किनारे
 
दरिया के उस किनारे
 
 
सितारे भी फूल भी
 
सितारे भी फूल भी
 
 
दरिया चढ़ा हुआ हो तो
 
दरिया चढ़ा हुआ हो तो
 
 
उस पार देखना |
 
उस पार देखना |
 
  
 
अच्छी नहीं है शहर के
 
अच्छी नहीं है शहर के
 
 
रस्तों की दोस्ती
 
रस्तों की दोस्ती
 
 
आँगन में फैल जाए न
 
आँगन में फैल जाए न
 
 
बाज़ार देखना.....!
 
बाज़ार देखना.....!
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19:15, 11 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण

दो-चार गाम राह को
हमवार देखना
फिर हर क़दम पे इक नयी
दीवार देखना |

आँखों की रौशनी से है
हर संग आइना
हर आईने में खुद को
गुनाहगार देखना |

हर आदमी में होते हैं
दस-बीस आदमी
जिसको भी देखना हो
कई बार देखना |

मैदाँ की हार-जीत तो
क़िस्मत की बात है
टूटी है जिसके हाथ में
तलवार देखना |

दरिया के उस किनारे
सितारे भी फूल भी
दरिया चढ़ा हुआ हो तो
उस पार देखना |

अच्छी नहीं है शहर के
रस्तों की दोस्ती
आँगन में फैल जाए न
बाज़ार देखना.....!