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"सूर्य हुआ लापता(हाइकु) / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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(' १-धुंध ही धुंध<br> सूर्य हुआ लापता<br> रजनी रोई |<br><br> ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
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१-धुंध ही धुंध<br>  
 
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सूर्य हुआ लापता<br>  
 
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चाँद की शीतलता <br>
 
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धरा मुस्काई |<br><br>
 
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११-श्वेत चादर <br>
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ओढ़  कर सोई है <br>
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अम्बर झरे |<br><br>
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20:23, 25 मार्च 2012 के समय का अवतरण

    
         
१-धुंध ही धुंध

सूर्य हुआ लापता

रजनी रोई |


 
२-कठिन होता

रचनात्मक कार्य

ध्वंस आसान |


 
३-माँ की ममता

यूँ कैसे हार जाती

बेटी न जने |


 
४-संहार मत

अपने स्वरुप को

माँ आने भी दे|


 
५-इतना बौना

कैसे हुआ आदमी

माँ-पा न भाएं |


 
६-नजदीकियाँ

सुख ही नहीं देती

तलखियाँ भी |


 
७-पूस की ठण्ड

अम्बर-धरा संग

मन उमंग |


 
८-मृत्यु के डर

जीना नहीं छोड़ते

कर्मठ व्यक्ति


 
९-वफ़ा का वादा

चाँद न भी निभाए

सूर्य मुस्काए |


 
१०-सूर्य की ऊष्मा

चाँद की शीतलता

धरा मुस्काई |