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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रमा द्विवेदी|संग्रह=}}{{KKCatHaiku}} <poem>
१-धुंध ही धुंध<br>
सूर्य हुआ लापता<br>
चाँद की शीतलता <br>
धरा मुस्काई |<br><br>
११-श्वेत चादर <br>ओढ़ कर सोई है <br>अम्बर झरे |<br><br/poem>
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