भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हाइकु-3 / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 37: | पंक्ति 37: | ||
खतरे भरी । | खतरे भरी । | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
</poem> | </poem> |
21:07, 10 मई 2012 का अवतरण
१-
आधुनिकता
नीलामी संबंधों की
खुली दुकान।
२-
बुरा करम
खुशहाल जीवन
मन का भ्रम ।
३-
सुन्दर तन
कनक घट विष
मलिन मन ।
४-
स्वारथ वश
मुखौटा याराना का
कटु सच्चाई ।
५-
कविता पढ़ी
कछु पल्ले न पड़ी
जनता हंसी ।
६-
शादी रचा ली
माडर्न समझौता
खतरे भरी ।