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|रचनाकार=भूषण
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प्रेतिनी पिसाच अरु निसाचर निशाचरहू,
 
मिलि मिलि आपुस में गावत बधाई हैं .
 
भैरो भूत-प्रेत भूरि भूधर भयंकर से,
 
जुत्थ जुत्थ जोगिनी जमात जुरि आई हैं .
 
किलकि किलकि के कुतूहल करति कलि,
 डिम-डिम डमरू दिगम्बर बजाई हैं . 
सिवा पूछें सिव सों समाज आजु कहाँ चली,
 
काहु पै सिवा नरेस भृकुटी चढ़ाई हैं .
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