भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कंचन मनि मरकत रस ओपी / कृष्णदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्णदास }} Category:पद <poeM> कंचन मनि मरक...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=कृष्णदास
 
|रचनाकार=कृष्णदास
 
}}
 
}}
[[Category:पद]]
+
{{KKCatPad}}
<poeM>
+
<poem>
कंचन मनि मरकत रस ओपी .
+
कंचन मनि मरकत रस ओपी।
नन्द सुवन के संगम सुखकर अधिक विराजति गोपी.
+
नन्द सुवन के संगम सुखकर अधिक विराजति गोपी।।
मनहुँ विधाता गिरिधर पिय हित सुरतधुजा सुख रोपी.
+
मनहुँ विधाता गिरिधर पिय हित सुरतधुजा सुख रोपी।
बदनकांति कै सुन री भामिनी! सघन चन्दश्री लोपी.
+
बदनकांति कै सुन री भामिनी! सघन चन्दश्री लोपी।।
प्राणनाथ के चित चोरन को भौंह भुजंगम कोपी.
+
प्राणनाथ के चित चोरन को भौंह भुजंगम कोपी।
कृष्णदास स्वामी बस कीन्हे,प्रेम पुंज को चोपी.
+
कृष्णदास स्वामी बस कीन्हे,प्रेम पुंज को चोपी।।
<poeM>
+
</poem>

10:56, 16 मई 2014 के समय का अवतरण

कंचन मनि मरकत रस ओपी।
नन्द सुवन के संगम सुखकर अधिक विराजति गोपी।।
मनहुँ विधाता गिरिधर पिय हित सुरतधुजा सुख रोपी।
बदनकांति कै सुन री भामिनी! सघन चन्दश्री लोपी।।
प्राणनाथ के चित चोरन को भौंह भुजंगम कोपी।
कृष्णदास स्वामी बस कीन्हे,प्रेम पुंज को चोपी।।