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"जोगिया मोर जगत सुखदायक / विद्यापति" के अवतरणों में अंतर

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आगे माई, जोगिया मोर जगत सुखदायक, दुःख ककरो नहिं देल
 
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दुःख ककरो नहिं देल महादेव, दुःख ककरो नहिं देल !
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दुःख ककरो नहिं देल महादेव, दुःख ककरो नहिं देल  
एही जोगिया के भाँग भुलैलक, धतुर खोआई धन लेल !
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एही जोगिया के भाँग भुलैलक, धतुर खोआई धन लेल  
  
आगे माई, कार्तिक गणपति दुई जन बालक, जन भरी के नहिं जान !
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आगे माई, कार्तिक गणपति दुई जन बालक, जन भरी के नहिं जान  
तिनक अभरन किछओ न टिकइन, रतियक सन नहिं कान !
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तिनक अभरन किछओ न टिकइन, रतियक सन नहिं कान  
  
आगे माई, सोना रूपा अनका सूत अभरन, अपने रुद्रक माल !
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आगे माई, सोना रूपा अनका सूत, अभरन अपने रुद्रक माल  
अपना मँगलो किछ नै जुरलनी, अनका लै जंजाल !
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अपना मँगलो किछ नै जुरलनी, अनका लै जंजाल  
  
आगे माई, छन में हेरथी कोटिधन बकसथी, वाहि देवा नहिं थोर !
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आगे माई, छन में हेरथी कोटिधन बकसथी, वाहि देवा नहिं थोर  
भनहिं विद्यापति सुनू हे मनाइनि, इहो थिका दिगम्बर मोर !
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भनहिं विद्यापति सुनू हे मनाइनि, इहो थिका दिगम्बर मोर  
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18:08, 18 जुलाई 2022 के समय का अवतरण

आगे माई, जोगिया मोर जगत सुखदायक, दुःख ककरो नहिं देल

दुःख ककरो नहिं देल महादेव, दुःख ककरो नहिं देल
एही जोगिया के भाँग भुलैलक, धतुर खोआई धन लेल

आगे माई, कार्तिक गणपति दुई जन बालक, जन भरी के नहिं जान
तिनक अभरन किछओ न टिकइन, रतियक सन नहिं कान

आगे माई, सोना रूपा अनका सूत, अभरन अपने रुद्रक माल
अपना मँगलो किछ नै जुरलनी, अनका लै जंजाल

आगे माई, छन में हेरथी कोटिधन बकसथी, वाहि देवा नहिं थोर
भनहिं विद्यापति सुनू हे मनाइनि, इहो थिका दिगम्बर मोर