"काळ दर काळ / रामस्वरूप परेश" के अवतरणों में अंतर
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सै ले मूंडो मोड़ | | सै ले मूंडो मोड़ | | ||
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जोवे अै दरसाव | | जोवे अै दरसाव | | ||
मिनख बापड़ो हारज्या | मिनख बापड़ो हारज्या | ||
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नेह चूकगो नैण सूं | नेह चूकगो नैण सूं | ||
तोडै़ बधगी राड़ | | तोडै़ बधगी राड़ | | ||
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+ | उणियारा पर ओप | | ||
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+ | आप करो रिछपाळ | | ||
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+ | राम करो रिछपाल | | ||
+ | आवे नी नेड़े कदे | ||
+ | ताती बळती भाळ | | ||
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+ | पगां चालती दीसरी | ||
+ | बा बड़कां री बात | | ||
+ | रोटी होज्या रामजी | ||
+ | पेट भरे खा पात | | ||
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यह लम्बी कविता (दोहे) है, शेष शीघ्र ही पोस्ट कर दी जाएगी | | यह लम्बी कविता (दोहे) है, शेष शीघ्र ही पोस्ट कर दी जाएगी | | ||
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21:41, 17 अक्टूबर 2012 का अवतरण
थां सू पैली गज वदन
मूसक रै गल माल |
पोथी री अैई करे
दुरभिख में रिछपाल |
लम्बोदर लाजां मारां
किंया चढ़ावां भोग |
मूसक ताणी भी नहीं
दाणा के संयोग ?
माँ सुरसत वरदान दे
विनती बारम्बार |
बिथा बखाणूं काळ री
देतूं आखर च्यार |
हंस छोड़ मा आवजे
सुरसत सूनै गांव |
थारे उजले हंस नीं
पड़े काळ री छांव |
बालाजी रै देवरे
रात जगाता लोग |
संवत हो तो म्हे करां
सवामणी रो भोग |
जिण बाढ्या इक बाण सूं
रावण रा दस सीस |
नाम जप्यां जासी नहीं
काळ जको बिन सीस |
चिड़ी कमेडी कागला
गांव गया सै छोड़ |
विपदा में कुण साथ दे
सै ले मूंडो मोड़ |
फळसै ऊबी खेजड़ी
जोवे अै दरसाव |
मिनख बापड़ो हारज्या
काळ जीतले दाव |
आभै उमड़ी बादळी
पण पटकी नि छांट |
किस्या जलम री काढ़ ली
अनदाता सूं आंट |
बीज पडै जद कीं उगै
आ धरती री बाण |
बिन पाणी रै के करै
करै तो पाणी पाण |
हुवै लड़ाई जीत ले
मरुधर रा जूझार |
पण इणने कुण टाळदे
आ मालिक री मार |
खेत खळा सूना हुया
सूना हुया गुवाड़ |
नेह चूकगो नैण सूं
तोडै़ बधगी राड़ |
कद धरती रै आवसी
उणियारा पर ओप |
सीळो पड़सी कद बता
जबर काळ रो कोप |
धोरां हाळा देश में
पड़े कदे नी काळ |
हे मालिक अरदास है
आप करो रिछपाळ |
म्हारे मरुधर देस री
राम करो रिछपाल |
आवे नी नेड़े कदे
ताती बळती भाळ |
पगां चालती दीसरी
बा बड़कां री बात |
रोटी होज्या रामजी
पेट भरे खा पात |
यह लम्बी कविता (दोहे) है, शेष शीघ्र ही पोस्ट कर दी जाएगी |